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प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन

न्यूज़ & इवेंट

प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन

सत्यार्थबोध राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी इंदौर में संपन्न

सत्यार्थबोध राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी इंदौर में सम्पन्न

इंदौर।। चर्

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आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की शिक्षाएं विषय पर विद्वत्संगोष्ठी स

सागर।। अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन शास्त्री परिषद के तत्वावधान में निर्या

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प्राकृत भाषा विकास ​फाउण्डेशन का विधान पत्र निर्यापक मुनिश्री योगसागर

शास्त्रिपरिषद् के प्रतिनिधि दल ने निर्यापक मुनिश्री योगसागरजी के दर्शन क

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प्रशंसापत्र

प्राकृत भाषा विकास फाउंडेशन

Bahut hi achcha Laga aap logon ka mehnat rang Lai aur ISI tarah aap log koshish karenge to ek din prakrit Bhasha ko pure Desh mein number 1 per a jayegi

Anita saraf

भैया जी ने हमे prakrat bhasha का ज्ञान दिया और बहुत अच्छी तरीके से इस शिविर को इस शिविर को संपर्क कराया इस तरह के व शिविर हमेशा होते रहने चाहिए ताकि हमें ताकत भाषा का ज्ञान हो

Seema jain

पहले शिविर लगाया जाता था विद्वान् द्वारा समाज को शिक्षित करने के लिए। अब शिविर लगाया जात है विद्वान् बनाने के लिए ।

रवि कुमार जैन

Vinita didi ne sahjatapurvak aur saralatapurvak Hame prakratbhasha ka gyan karaya. Didi baccho aur bado ko alag alag samay se padha te the Vinita didi ne apna amulya samay nikal ker hame prakratbhasha padhai . Prakratbhasha padhne se bade bade grantho ka swadhyaye Hum bhavishya me bhi ker sakte hai. Itne samay ke liye papo se bach gaye.hamare vichar shubh rahe. Mujhe chahiye ki aise shivir pratidin lagne chahiye.mukhe didi ka swabhav bahut achcha laga. Jai jinendra

Urvi doshi

बहोत ही अच्छा लगा पुराने दिन पढ़ाई के याद आगये उसी क्रम में परीक्षा के दिन याद आये आज से 30 वर्ष पूर्व यादे ताजा हो गई आचार्य श्री पूज्य गुरु देव सुनील सागर जी महाराज के आशीर्वाद से यह शिविर आगे भी चलता रहे एसी भावना हे

महावीर जी नश्नावत

प्राकृत भाषा को जानने का बहुत ही अच्छा अनुभव रहा हे इस शिविर के माध्यम से हमे अपने जिनवाणी और जिनागम को पूर्ण रूप से जानने का मार्ग हमे मिला हे अब हम जिनवाणी का स्वाध्याय भी सरलतम रूप में कर पाएंगे भविष्य में भी प्राकृत भाषा के प्रशिक्षण में हमेशा भाग लेता रहूँगा सादर जय जिनेन्द्र

RAVINDRA JAIN

विनीता दीदी ने सहजता और सरलता पूर्वक हमें प्राकृतभाषा का ज्ञान कराया! हम भविष्य में बच्चों को भी पढ़ा सकते हैं! हम उतने समय के लिए पापो से बच गए परिणम शुभ रहे!

Urvi doshi

हम शिविर में शामिल नहीं हो सके अफसोस रहेगा लेकिन प्राकृत भाषा जैन दर्शन का यह शिविर रोचक रहा। नयी पीढ़ी को ज्ञान दान करने वाले विद्वानों का धन्यवाद।

अरविंद जैन रवि

प्राकृत भाषा शिक्षण शिविर अपने आप में अनूठा शिविर है। प्राकृत भाषा का अधिक प्रचार प्रसार के लिए यूं ट्यूब पर भी कन्टेंट उपलब्ध करवाना चाहिए।

Roshan jain

शिविर में हमें अपने प्राचीन ग्रंथो के बारे में पता चला कि वह कौन सी भाषा में और कब लिखे गए। हमें प्राकृत भाषा की की प्राचीनता का ज्ञान हुआ। हमारे कई सारे प्राचीन जैन ग्रंथ प्राकृत भाषा में ही लिखे गए हैं इसलिए हमारे लिए यह भाषा बहुत ही महत्व रखती है शिविर में हमें अपने पूर्वाचार्यों और ग्रन्थों के बारे में ज्ञान हुआ। शिविरआयोजकों के लिए बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद।

Sharmila mehta

Prakritik m study krna bahut acha laga nye shabd sikhne ko mele

Sadhana mehta

जैन धर्म की मूल प्राकृत भाषा को समझकर आत्मिक अनुभूति हुई। हमारे आचार्य एवं मुनियों ने प्राकृत भाषा में मूल ग्रंथ लिखे जिससे हमारे जैनत्व की पहचान बनी । प्रतिवर्ष प्राकृत भाषा का लगभग 15 दिन का व्याकरण आदि की पुस्तकों के माध्यम से शिविर लगे । यही मेरी भावना है । परम आदरणीय अनीता दीदी ने बहुत अच्छे से पढ़ाया एवं समझाया ।

राकेश जैन छुल्ला

यह प्राकृत शिविर बहुत अच्छा लगा ऐसे ही प्रतिवर्ष शिविर का आयोजन होता रहे।

मणि जैन

यह प्राकृत शिविर बहुत अच्छा लगा। इतने कम समय में बहुत ज्ञान प्राप्त कराना गागर में सागर भरने जैसा है ऐसे ही प्रतिवर्ष शिविर लगते रहे धन्यवाद की

मणि जैन

बहुत बढ़िया रहा शिविर। ।।बच्चो से लेकर बडो ने रूझान दिखाया।।अभी तक.सभी ने.सुन रखा था लेकिन शिविर के समापन तक सभी को हमारे पुराने ग्रंथो जो.प्राकृत भाषा मे लिखे गए हे,की जानकारी मीली।। पढते कैसे है?उच्चारण कैसे करते है?? यह पता लगा।।परम पुज्य आचार्य सुनील सागर गुरुदेव की प्रभावी शिष्या सुप्रग्यमति माताजी के निर्देशन मे शिविर मे विनिता दीदी.ने बहुत.अच्छे से ग्यान दिया।।

Toshi jain

Buhut kuch sikhne ko mila

Mihit dosi

Prakrat Bhasha ka adhyayan Kiya man Pata Chala Ki is bhasha mein Shastra Granth Hain isliye Padhne Mein manchne mein adhyayan karne mein Mushkil Nahin Aaegi Kyunki Maine prakrat Bhasha ka Vachan Kiya aur prakrutik Bhasha ko samajhne ke liye bhaiya Ji Ne yah Shivir Lagaya aur usko Dekhkar yah laga ki Aage Bhi aath Din Mein Jo Nahin padh Paya vah Aage Bhi padhna chahie aur Dharm ka prachar Prasar ho sake isase bacchon mein prakrat bhasha Chhote Se Hi samajh sake Mujhe Shivir mein bahut Achcha Laga

Shrimati Seema Jain

शिविर बहुत अच्छा लगा इसमें हमें अपनी प्राचीन भाषा के बारे में ज्ञात हुआ एवं नई-नई जानकारी विषय फैमिली सभी को हृदय से आभार व्यक्त करती हूं इसी तरह जिन धर्म की प्रभाव न होती रहे और इसी तरह साबिर आयोजित होती रहे जिसमें बच्चों में ज्ञान वर्जन उत्साह रहे

Reena jain

शिविर मे पढाई बहुत अच्छी तरह की हुई इतनी तेज गर्मी मे भी लोगो ने भाग लिया यहाँ 5 वर्ष से लगाकर 80 वर्ष से ऊपर वाले लोगों ने भी भाग लिया दोनों bhiyaji की भी कड़ी मेहनत रही आगे 6 दिन का समय कम पड़ता है बाकि बहुत ही अच्छा रहा

Premlata jain

कई वर्षों से अपनी मूल भाषा अर्थात प्राकृत भाषा को सीखने समझने का जो सपना था वह इस शिविर के माध्यम से पूरा हो गया। पहली बार णमोकार मंत्र का सही उच्चारण भी सीखा, प्राकृत भाषा के प्रति जो उदासीनता थी वह बिल्कुल खत्म हो गई तथा द्रव्य संग्रह जैसे महान ग्रन्थ के अध्ययन को भी इतना आसान बना दिया। अब यह शिविर प्रति वर्ष लगना चाहिए।

मनीषा जैन

Bhahut hi achcha sivir he is me ham shabhi ko gyan ki ganga mili or bhut hi achcha laga yese hi or sivir age ho age ki pini ko bhahut jarurat he app sabhi ka bahut bahut shukriya jj app sabhi ko

Nainsi jain

जैन धर्म के प्राचीन ग्रंथ जो लिखे गए हैं वह प्राकृत भाषा में ही है ,णमोकार मंत्र प्राकृत भाषा में है इससे यह सिद्ध होता है कि जैन धर्म की मातृभाषा प्राकृत भाषा है । इसका प्रारंभिक ज्ञान हर बच्चे बच्चे को होना आवश्यक है ।श्री आशीष जी द्वारा इस दूरगामी सोच का हम हृदय से स्वागत करते हैं । इस शिविर से बच्चों को प्राकृत भाषा का सीखने को मिली है।

सुनील जैन

प्राकृत भाषा शिक्षण शिविर में उपस्थित होकर बहुत ही अच्छा लगा और इसमें हमने जाना की हमारे कई प्राचीन ग्रंथ आज भी इसलिए उपेक्षित पड़े हुए हैं क्योंकि हम प्राकृत भाषा नहीं जानते हैं। जैन धर्म के भारत में नहीं फैलने के कई कर्म में से एक कारण यह भी रहा कि प्राकृत भाषा का सही ढंग से विकास नहीं हो पाया तथा उसके उत्थान लिए विशेष प्रयास नहीं किये जा सके ।शिविर में हमने जाना कि कैसे प्राकृत एक सरल एवं सहज भाषा है ।

Nikhil Jain

10 से 18 मई के बीच आयोजित शिविर के लिए मेरा फीडबैक 1. कम समय में प्रभावशाली तैयारी: सीमित समय में शिविर की तैयारी अत्यंत अच्छी रही। आयोजकों ने पूर्ण समर्पण और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया, जो सराहनीय है। 2. पूर्व नियोजित कार्यक्रम: यदि शिविर का समय और कार्यक्रम पहले से निर्धारित होकर सभी प्रतिभागियों को अग्रिम रूप से सूचित किया जाए, तो संचालन अधिक सुव्यवस्थित और प्रभावी रहेगा। इस दिशा में संयोजक का स्पष्ट मार्गदर्शन आवश्यक है। 3. जैन संस्कारों पर विशेष ध्यान: शिविर में प्राकृत विषय ज्ञान के साथ-साथ जैन धर्म के संस्कारों, सिद्धांतों और नैतिक मूल्यों पर भी बल दिया जाना चाहिए। इससे प्रतिभागियों का धार्मिक और नैतिक विकास होगा। 4. पाठ्यक्रम के साथ विविध गतिविधियाँ: पढ़ाई के अतिरिक्त ऐसी रचनात्मक गतिविधियाँ भी शामिल की जाएँ, जो बच्चों और बड़ों दोनों की रुचि को बढ़ाएँ—जैसे कला, खेल, नाटक, समूह चर्चा आदि। इससे शिविर में सहभागिता और आनंद की भावना बढ़ेगी। धन्यवाद

tushar jain

SHIVIR BAHUT AHCEH LAGE.

ASHISH JAIN